छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत आने वाले हसदेव अरण्य को अडानी के हाथ में सौंपने के बाद वहां पर आदिवासियों को भगाया जा रहा है तथा जंगल को काटकर, उड़ाकर नष्ट किया जा रहा है। विगत सप्ताह भालू के दो नवजात बच्चे शहर में पाए गए एवम् कितनी ही जंगली जानवर मौत के आगोश में सो जा रहे हैं।
- यह विकास की कैसी अंधी दौड़ है जिसके कारण पर्यावरण को ही ताक पर रख दिया जा रहा है, आदिवासियों से उनकी जल, जंगल और ज़मीन को जबरदस्ती छीना जा रहा है।
क्या आदिवासियों, जंगलों और जंगली जानवरों को जीने का अधिकार नहीं है?? इस विकास की अंधी दौड़ से मानव समाज और भारतीय समाज को आखिर क्या मिल जायेगा??