देश भर में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों का विश्लेषण लगातार कई टेलीविजन मीडिया और सोशल मीडिया कर कर रहे हैं।एग्जिट पोल में नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाले एनडीए को 350 से 380 सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है वहीं बिहार में एनडीए को 35 सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है।उत्तरप्रदेश की 80 सीटों पर NDA को 70 सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है।
हमें चुनाव यात्रा के दौरान जो ग्राउंड रिपोर्ट लिया,उसके आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि बिहार की पूर्णिया सीट पर पूर्व सासंद पप्पू यादव जीत रहे हैं जो कि निर्दलीय खड़े थे।
दूसरी हॉट सीट काराकाट लोकसभा है जहां उपेंद्र कुशवाहा, राजाराम सिंह और पवन सिंह भाग्य आजमा चुके हैं पर यहां राजाराम सिंह की जीत पक्की है क्योंकि उपेन्द्र कुशवाहा से यहां के मतदाता नाराज थे। पवन सिंह जो कि भोजपुरी गायक एवं अभिनेता हैं, इनके मुख्य वोटर वही हैं जो बीजेपी समर्थित लोग हैं। पवन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा की लड़ाई में यहां India Alliance के राजाराम सिंह की जीत पक्की हो चुकी है।
शिवहर लोकसभा में भी रितु जायसवाल जीत की ओर अग्रसर दिखती हैं, यहां पर ठाकुर का कुंआ सुखता नजर आ रहा है। आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद यहां पर सीट निकालने में असफल दिख रही हैं।
छपरा में बीजेपी हार के डर से बौखलाई हुई है, वहां पर राजीव प्रताप रूडी जिनको एंबुलेंस चोर भी कहा जाता है, इनके समर्थकों ने बूथ पर रोहिणी आचार्य को गाली गलौज किया तथा अगले दिन 4 लोगों को गोली मार दी गई। यहां भी रोहिनी आचार्य के जीतने की संभावना प्रबल है।
जहानाबाद लोकसभा सीट पर राजद के सुरेन्द्र यादव की जीत पक्की है , वहीं पाटलिपुत्र सीट पर भी मीसा भारती जीत सकती हैं।
मुंगेर सीट पर भी कांटे की टक्कर है, जमुई सीट पर राजद की अर्चना रविदास जीत रही हैं। मुज्जफरपुर सीट पर भी india alliance की जीत की संभावना प्रबल है।
औरंगाबाद लोकसभा में कांटे की टक्कर है,गया लोकसभा क्षेत्र में भी कांटे की टक्कर है। नवादा में भी कांटे की टक्कर है।
किशनगंज, कटिहार, बेगूसराय सभी सीटों पर किसकी जीत होगी यह कहना मुश्किल है,लेकिन 400 पार के नारे और एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर लगता है कि जानबूझकर ऐसा दिखाया जा रहा है, ताकि किसी प्रकार के उठ रहे सवालों को दबाया जा सके।
ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा पर सेक्स स्कैंडल आरोपी प्रज्वल रेवन्ना, बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग, BHU में भाजपाईयों द्वारा गैंगरेप , किसानों पर थार चढ़ा देना, आन्दोलन में 700 किसानों का शहीद होना, पेपर लीक, इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला, राफेल घोटाला, महंगाई, वैक्सीन विवाद, बेरोजगारी जैसे मुद्दों का कोई असर नहीं होने वाला है। यह हास्यास्पद नहीं तो और क्या है।
वोट पोल होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा फाइनल वोटों की संख्या देरी से बताना, और वोटो की संख्या बढ़ा हुआ होना आखिर किस तरफ इशारा करता है।
पिछली बार विधनसभा चुनाव में एग्जिट पोल में वेस्ट बंगाल में मीडिया बीजेपी को 200 सीटे दे रही थी , जबकि 200 सीटे TMC को आई थीं।
धनबल, मीडिया बल, चोरी, सीनाजोरी, इवीएम विवाद, न्यायपालिका समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं का अपहरण, बीमार विचार विहीन विपक्ष, और हतोत्साहित उदासीन थकी हारी आवाम!
यहाँ कैसा लोकतंत्र और कैसा
महापर्व?
मानवेंद्र प्रियदर्शी (MahaBodhi Times)
बिलकुल सही विश्लेषण किए हैं